इस अन्तःक्षेत्र का सृजन सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय एवं सर्वत्र राष्ट्रीयता के भावजागरण हेतु किया जा रहा है. हमारी भूमिका एक भक्तिभावमय विद्यार्थी की ही है, हम हर दिन सीखते हैं और परिष्कार एवं परिमार्जन की प्रक्रिया सतत् चलती रहती है. पं. दीनदयाल उपाध्याय सबके थे. सहजता, सरलता एवं निष्कपट विनय की जीवन्त प्रतिमूर्ति.
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